November 9, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने ‘वंदे भारत’ ट्रेन के लिए अतिरिक्त स्टेशन की मांग वाली याचिका खारिज की

Vande Bharat Train case

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल हाईकोर्ट द्वारा मलप्पुरम जिले के तिरुर रेलवे स्टेशन पर ‘वंदे भारत ट्रेन सेवा’ को रोकने की अनुमति देने के लिए दक्षिणी रेलवे को निर्देश देने की याचिका खारिज करने के खिलाफ वकील द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने शुरुआत में ही याचिका पर विचार करने के प्रति अपनी अनिच्छा व्यक्त की।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की,

“अब आप चाहते हैं कि हम तय करें कि ट्रेन किस स्टेशन पर रुकेगी? क्या हम दिल्ली से मुंबई राजधानी तक के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे?”

यह देखते हुए कि यह नीतिगत मामला है, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

केरल हाईकोर्ट की जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस और जस्टिस सी. जयचंद्रन की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और ट्रेन के लिए स्टॉप देना नीतिगत मामला है। इसे रेलवे द्वारा निर्धारित किया जाना है और किसी भी व्यक्ति को इसकी मांग करने का निहित अधिकार नहीं है।

खंडपीठ ने 28 अप्रैल, 2023 के अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि यदि जनता की मांग पर स्टॉप दिया जाएगा तो “एक्सप्रेस ट्रेन” शब्द अपने आप में मिथ्या नाम बन जाएगा।

एडवोकेट श्रीराम पी के माध्यम से दायर एसएलपी में कहा गया कि मलप्पुरम जिला केरल राज्य के सबसे घनी आबादी वाले जिलों में से एक है, जहां बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवा पर निर्भर हैं। यह प्रस्तुत किया गया कि भारतीय रेलवे द्वारा शुरू में घोषित ट्रेन स्टॉप के पहले शेड्यूल के अनुसार, तिरूर रेलवे स्टेशन को मलप्पुरम जिले की ओर से स्टॉप आवंटित किया गया, लेकिन बाद में भारतीय रेलवे द्वारा इसे वापस ले लिया और पलक्कड़ में शोर्नूर नाम का एक और रेलवे स्टेशन बना दिया। उसके स्थान पर जिला आवंटित कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने इस प्रकार आरोप लगाया कि उक्त कॉल बैक राजनीतिक कारणों से हुआ है और अनुचित है।

याचिकाकर्ता ने मलप्पुरम में तिरूर जिले और पलक्कड़ में शोरनूर जिले की आबादी का उल्लेख किया, जैसा कि 2011 की जनगणना रिपोर्ट से पता चला है, इस तर्क को पुष्ट करने के लिए कि तिरूर घनी आबादी वाला प्रमुख जिला है और वहां रेलवे स्टॉप से नहीं देना गलत होगा।

इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि शोरनूर रेलवे स्टेशन तिरुर से लगभग 56 किलोमीटर दूर है और मलप्पुरम जिले के लोगों के लिए इतनी दूरी तय करना मुश्किल होगा। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इससे “याचिकाकर्ता सहित इलाके में रहने वाले लोगों, खासकर कामकाजी व्यक्तियों और वृद्ध लोगों को लगातार कठिनाइयों” का सामना करना पड़ेगा।

केस टाइटल: पी.टी. शीजिश बनाम भारत संघ एवं अन्य।

Related post